Family Pension Scheme: पिता के निधन के बाद बेटी को पेंशन का अधिकार मिलने के मामले में कई सवाल उठते हैं। खासतौर पर अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा बेटियों की पात्रता को लेकर। केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 में बेटियों के लिए विशेष प्रावधान बनाए गए हैं। इन प्रावधानों के तहत कौन-सी बेटियाँ पेंशन की हकदार बनती हैं और उनकी पात्रता की शर्तें क्या हैं, इस लेख में हम इन सभी बातों का विस्तार से अध्ययन करेंगे।
Family Pension Scheme उद्देश्य और महत्व
Family Pension Scheme भारत सरकार की एक सामाजिक सुरक्षा पहल है, जो सरकारी कर्मचारियों के परिवारों को सहायता प्रदान करती है। किसी कर्मचारी के निधन के बाद उनका परिवार अचानक आर्थिक संकट में आ सकता है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 लागू किए गए।
यह योजना विशेष रूप से पति/पत्नी, बच्चों, और विकलांग सदस्यों के लिए बनाई गई है। पारिवारिक पेंशन का उद्देश्य है कि मृतक कर्मचारी के आश्रित परिवार को हर महीने एक निश्चित आर्थिक मदद मिले। इसका मुख्य उद्देश्य परिवार की बुनियादी जरूरतों, जैसे कि भोजन, स्वास्थ्य, और शिक्षा, को पूरा करना है।
बेटी को पेंशन पाने की पात्रता
बेटी को पिता की पेंशन का अधिकार तभी मिलता है, जब वह केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करती है। इनमें प्रमुख शर्तें उसकी उम्र, वैवाहिक स्थिति, और आर्थिक निर्भरता से जुड़ी होती हैं। अविवाहित, तलाकशुदा, या विधवा बेटी को पेंशन का अधिकार तभी है, जब वह आर्थिक रूप से अपने माता-पिता पर निर्भर हो।
यदि बेटी विकलांग है, तो उसे जीवनभर के लिए पेंशन दी जाती है। इसके लिए माता-पिता को सरकारी दस्तावेज़ों में बेटी का नाम पेंशन लाभार्थी के रूप में दर्ज करना आवश्यक है। यदि बेटी शादी कर लेती है या उसकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है, तो उसे पेंशन का अधिकार समाप्त हो जाता है।
पात्रता शर्तें: कौन-सी बेटियाँ पेंशन की हकदार हैं?
बेटी को पेंशन का अधिकार पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें हैं, जैसे कि उसकी उम्र 25 वर्ष से कम होनी चाहिए, वह अविवाहित होनी चाहिए, या आर्थिक रूप से निर्भर होनी चाहिए। विकलांगता की स्थिति में उम्र की सीमा लागू नहीं होती और उसे जीवनभर पेंशन मिल सकती है।
- उम्र और आर्थिक स्थिति:
बेटी को पेंशन का हक तब तक मिलता है, जब तक उसकी उम्र 25 वर्ष से कम हो। यदि बेटी के पास खुद का कोई आय का स्रोत नहीं है, तो भी वह पात्र होती है। - वैवाहिक स्थिति:
अविवाहित, तलाकशुदा, और विधवा बेटियाँ पेंशन पाने के योग्य होती हैं। शादी के बाद या नौकरी मिलने पर पेंशन का अधिकार समाप्त हो जाता है। - विकलांगता:
यदि बेटी शारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग है, तो उसे जीवनभर पेंशन मिलती है। इस स्थिति में विकलांग बेटी को प्राथमिकता दी जाती है।
जीवनभर पेंशन पाने की शर्तें
जीवनभर Family Pension Scheme उन बेटियों को मिलती है, जो विकलांग हैं, तलाकशुदा हैं या विधवा हैं। इसके लिए पिता द्वारा बेटी का नाम पेंशन लाभार्थी के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। यदि माता-पिता दोनों सरकारी कर्मचारी हैं, तो बेटी दोनों से पेंशन ले सकती है।
- विकलांग बेटी:
शारीरिक या मानसिक विकलांगता की स्थिति में बेटी को जीवनभर पेंशन मिलती है। इसके लिए माता-पिता को फार्म 4 में उसका नाम दर्ज करना आवश्यक है। - तलाकशुदा या विधवा बेटी:
तलाकशुदा बेटी को कानूनी डिक्री के आधार पर और विधवा बेटी को जीवनभर पेंशन मिल सकती है। - दोहरी पेंशन:
यदि माता और पिता दोनों सरकारी कर्मचारी थे, तो बेटी दोनों से पेंशन ले सकती है। हालांकि, मासिक Family Pension Scheme की कुल राशि 1,25,000 रुपये से अधिक नहीं हो सकती।
अविवाहित बेटियों के लिए विशेष प्रावधान
अविवाहित बेटियों को Family Pension Scheme का प्राथमिक अधिकार मिलता है, खासकर जब वे परिवार में सबसे बड़ी होती हैं। यदि जुड़वां बहनें हैं, तो पेंशन राशि बराबर बांटी जाती है। गोद ली गई बेटियों को पेंशन का अधिकार नहीं होता।
- सबसे बड़ी बेटी को प्राथमिकता:
यदि अविवाहित बेटी परिवार में सबसे बड़ी है और माता-पिता दोनों नहीं हैं, तो उसे पेंशन का पहला अधिकार मिलता है। - जुड़वां बहनों के लिए समान अधिकार:
जुड़वां बहनों की स्थिति में पेंशन राशि दोनों में समान रूप से बांटी जाती है। - गोद ली हुई बेटी:
गोद ली गई बेटी को पेंशन का अधिकार नहीं मिलता, खासकर यदि गोद लेने वाले माता-पिता जीवित हों।
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