Gujarat Fake Judge News:हेलो नमस्कार दोस्तों! आपने फर्जी डॉक्टर, फर्जी शिक्षक, और फर्जी पुलिसवाले जैसी कई कहानियाँ सुनी होंगी। अब गुजरात के गांधीनगर में एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने पांच साल तक फर्जी अदालत चलाई।
सैम्युल मॉरिस नामक इस व्यक्ति ने अपने ऑफिस को एक अदालत में तब्दील कर लिया और जज की भूमिका निभाते हुए कई मामलों की सुनवाई की। इस व्यक्ति ने सरकारी नोटिस का इस्तेमाल कर जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया, जिससे अरबों की संपत्ति अपने नाम कर ली। आइए जानते हैं कैसे यह फर्जी कोर्ट संचालित होती थी और इसका खुलासा कैसे हुआ।
कैसे चला फर्जी कोर्ट?
सैम्युल मॉरिस ने अपने ऑफिस को एक फर्जी अदालत में तब्दील कर दिया था। वह विशेषकर जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामलों की सुनवाई करता था और लोगों को यह विश्वास दिलाता था कि उसे कोर्ट द्वारा मध्यस्थ के रूप में नियुक्त किया गया है। उसने अपने ऑफिस में एक पूर्ण सेटअप तैयार किया था, जिसमें उसके साथी वकीलों की तरह व्यवहार करते थे। यह सब इस तरीके से किया गया कि क्लाइंट्स को लगे कि वे वास्तव में कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा हैं। ऐसे में, कई लोग उसके जाल में फंसते गए और उसके धोखे का शिकार बन गए।
फर्जी अदालत का खुलासा
सैम्युल मॉरिस के फर्जीवाड़े का खुलासा 2019 में तब हुआ जब उसने एक सरकारी जमीन के मामले में फर्जी आदेश पारित किया। यह मामला जब सिविल कोर्ट में पहुंचा, तो रजिस्ट्रार को संदेह हुआ। इसके बाद करंज पुलिस थाने में शिकायत दर्ज की गई और पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि सैम्युल ने जज की भूमिका निभाकर कई जमीनों पर अवैध कब्जा किया था। यह स्थिति पुलिस के लिए हैरान करने वाली थी, क्योंकि पिछले पांच सालों से वह इस फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहा था।
जाँच का नतीजा:
जांच के दौरान पुलिस ने सैम्युल मॉरिस का पूरा सेटअप खोज निकाला। उसने एक फर्जी अदालत का कमरा तैयार किया था, जिसमें सुनवाई होती थी। सैम्युल ने खुद को अधिक प्रामाणिक दिखाने के लिए एक पीएचडी इन लॉ की फर्जी डिग्री भी हासिल की थी। गिरफ्तारी के बाद भी उसका व्यवहार ऐसा था जैसे पुलिस उसके साथ हो। पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और यह संभावना है कि सैम्युल के फर्जीवाड़े से जुड़े और भी कई मामले सामने आएंगे।
निष्कर्ष
गुजरात के गांधीनगर में सैम्युल मॉरिस ने अपनी फर्जी अदालत के माध्यम से न केवल कई लोगों को धोखा दिया, बल्कि सरकारी जमीनों पर भी अवैध कब्जा किया। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि लोग फर्जीवाड़े का सहारा लेकर कितनी दूर जा सकते हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है कि किस प्रकार कानून के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। आप इस मामले पर क्या सोचते हैं? कृपया अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।
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