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UP Police Encounter Guidelines:UP में एनकाउंटर पर नए नियम जानिए कैसे बदलेगा अपराध से निपटने का तरीका

UP Police Encounter Guidelines: उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एनकाउंटर को लेकर कुछ नए दिशा-निर्देश और नियम जारी किए गए हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य है। ये नियम मानवाधिकारों के संरक्षण और कानून के तहत उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए हैं। एनकाउंटर से जुड़े कुछ मुख्य दिशा-निर्देश निम्नलिखित है,आइए इसकी संपूर्ण जानकारी मैं इस लेख में बताने जा रहा हूं।

यूपी पुलिस पर सवाल और डीजीपी का जवाब

उत्तर प्रदेश में हो रहे एनकाउंटरों को लेकर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं। कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि पुलिस इन मुठभेड़ों में जल्दबाजी और मनमानी करती है। लेकिन, उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) को दिए एक इंटरव्यू में डीजीपी ने कहा कि यूपी पुलिस एक जिम्मेदार और पेशेवर बल है, जो किसी भी तरह की ट्रिगर-हेप्पी (अर्थात गोली चलाने के लिए तत्पर) फोर्स नहीं है।

उन्होंने कहा कि पुलिस की भूमिका राज्य की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, लेकिन कई बार पक्षपातपूर्ण धारणाओं के कारण पुलिसकर्मियों के ईमानदार प्रयासों और बलिदानों को कमतर आंका जाता है। डीजीपी ने कहा, “हमने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अपराध, अपराधियों और माफिया के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करते।”

एनकाउंटरों पर नई गाइडलाइंस

हाल ही में यूपी में लगातार हो रहे एनकाउंटरों पर सवाल उठाए जाने के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने एनकाउंटरों को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें पुलिस को निर्देश दिया गया है कि मुठभेड़ के दौरान कोई भी व्यक्ति मारा जाता है या घायल होता है, तो उस घटना की पूरी वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। इस वीडियोग्राफी का उद्देश्य मुठभेड़ की पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

डीजीपी की नई गाइडलाइंस के मुताबिक, एनकाउंटर के दौरान यदि किसी अपराधी की मौत होती है, तो उसके पोस्टमॉर्टम की प्रक्रिया दो डॉक्टरों के पैनल द्वारा की जाएगी। इसके साथ ही पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी भी की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो।

फॉरेंसिक टीम की अनिवार्यता

एनकाउंटर के बाद फॉरेंसिक टीम को भी घटनास्थल पर बुलाने का निर्देश दिया गया है। फॉरेंसिक टीम घटनास्थल की जांच करेगी और सबूतों को इकट्ठा करेगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जा सके और मुठभेड़ की सच्चाई को साबित किया जा सके।

जांच की स्वतंत्रता

डीजीपी प्रशांत कुमार ने यह भी कहा कि जिस क्षेत्र में एनकाउंटर हुआ होगा, वहां के थाने की पुलिस उस घटना की जांच नहीं करेगी। जांच के लिए दूसरे थाने या फिर यूपी क्राइम ब्रांच की टीम को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जांच प्रक्रिया निष्पक्ष और स्वतंत्र हो।

इसके साथ ही, एनकाउंटर की जांच वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाएगी, जो शासित अधिकारियों से ऊपर के स्तर के होंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जांच उच्च स्तर पर हो और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।

परिजनों को सूचना और रिकॉर्ड की सुरक्षा

डीजीपी ने यह भी निर्देश दिया है कि एनकाउंटर में किसी अपराधी की मौत होने पर तुरंत उसके परिजनों को सूचना दी जाए। साथ ही, घटनास्थल की वीडियोग्राफी की कई कॉपियां बनाई जाएंगी और उन्हें रिकॉर्ड के तौर पर सुरक्षित रखा जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भविष्य में यदि किसी प्रकार का विवाद होता है, तो उस रिकॉर्ड का उपयोग किया जा सके।

पारदर्शिता और जवाबदेही पर जोर

नई गाइडलाइंस का मुख्य उद्देश्य एनकाउंटर की प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। पुलिस पर जनता का भरोसा बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है, खासकर तब जब पुलिस पर एनकाउंटरों को लेकर सवाल उठाए जाते हैं। डीजीपी ने साफ किया कि उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकता अपराधियों से निपटना है, लेकिन इसके लिए उचित कानूनी प्रक्रिया और नियमों का पालन करना भी अनिवार्य है।

एनकाउंटरों की बढ़ती संख्या और राजनीतिक प्रभाव

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल के दौरान एनकाउंटर की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। कई मामलों में पुलिस ने अपराधियों से सीधे मुठभेड़ की है और उन्हें पकड़ने या मार गिराने का प्रयास किया है। हालांकि, इस बढ़ती संख्या के कारण विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, कुछ एनकाउंटरों में नियमों का उल्लंघन हुआ है और पुलिस ने खुद की जिम्मेदारी से आगे जाकर काम किया है।

लेकिन योगी सरकार का रुख स्पष्ट है। मुख्यमंत्री ने बार-बार कहा है कि उनके प्रशासन का लक्ष्य राज्य में कानून व्यवस्था को सख्त बनाना है। उन्होंने एनकाउंटरों का समर्थन किया है, यह कहते हुए कि इससे अपराधियों में भय पैदा होता है और राज्य में शांति बनी रहती है।

भविष्य की चुनौतियाँ

हालांकि एनकाउंटर एक प्रभावी तरीका साबित हो सकते हैं, लेकिन उन्हें लेकर हमेशा विवाद और चुनौतियां रहेंगी। सरकार और पुलिस प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी निर्दोष व्यक्ति को नुकसान न पहुंचे और सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।

डीजीपी प्रशांत कुमार द्वारा जारी की गई नई गाइडलाइंस इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही हैं। इन गाइडलाइंस से पुलिस पर लगे आरोपों को कम किया जा सकेगा और मुठभेड़ों की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखा जा सकेगा।

इसके अलावा, पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह अपराधियों को जल्द से जल्द न्याय के दायरे में लाए, साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि कानून का पालन हर कदम पर हो। जनता का विश्वास बनाए रखना और पुलिस बल की जवाबदेही सुनिश्चित करना भी इन गाइडलाइंस का प्रमुख उद्देश्य है।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश में एनकाउंटरों को लेकर सरकार और पुलिस प्रशासन ने एक सख्त रुख अपनाया है। डीजीपी प्रशांत कुमार की नई गाइडलाइंस यह दर्शाती हैं कि पुलिस किसी भी मुठभेड़ में उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करेगी। वीडियोग्राफी, पोस्टमॉर्टम की पारदर्शिता और जांच की स्वतंत्रता जैसे कदम मुठभेड़ों की पारदर्शिता को बढ़ाएंगे और जनता के बीच पुलिस के प्रति विश्वास को मजबूत करेंगे।

हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में इन गाइडलाइंस का असर कितना प्रभावी होता है और क्या इससे एनकाउंटरों को लेकर उठने वाले विवादों पर विराम लगता है।

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