Negligence of Government Hospital:छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की पुसौर तहसील के अंतर्गत आने वाले भागीरथी चौहान स्वास्थ्य केंद्र में एक गरीब परिवार के साथ हुए अमानवीय व्यवहार ने स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ग्राम पंचायत त्रिभुवन निवासी सुदामा चौहान अपने बीमार परिवार के सदस्य के इलाज के लिए इस स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन उन्हें डॉक्टर की बेरुखी का सामना करना पड़ा। यह घटना उन गरीब परिवारों की पीड़ा को दर्शाती है, जो इलाज की उम्मीद लेकर अस्पताल आते हैं लेकिन इलाज की जगह अपमान और निराशा का सामना करते हैं।
स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही एक परिवार की टूटी उम्मीदें:
सुदामा चौहान अपने गंभीर रूप से बीमार परिवार सदस्य को लेकर भागीरथी चौहान स्वास्थ्य केंद्र, पुसौर पहुंचे, लेकिन वहां उनकी मुश्किलें कम होने के बजाय और बढ़ गईं। घंटों तक इंतजार करने के बावजूद कोई डॉक्टर उनसे मिलने नहीं आया। थक-हारकर सुदामा ने एक नर्स से मदद की गुहार लगाई। नर्स ने डॉक्टर से बात करने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टर ने यह कहते हुए इलाज करने से साफ मना कर दिया
कि उनके पास अन्य मरीजों के लिए समय नहीं है सुदामा ने कई बार डॉक्टर से विनती की, अपनी आर्थिक स्थिति और परिवार की हालत का हवाला दिया, लेकिन डॉक्टर ने उनकी एक न सुनी। इलाज से इनकार कर उन्हें वापस भेज दिया गया। इस बेरुखी और अस्पताल की लापरवाही ने सुदामा को पूरी तरह से असहाय बना दिया। मजबूर होकर उन्हें अपने बीमार परिजन को गांव से दूर एक निजी अस्पताल में ले जाना पड़ा
, जहां भारी खर्चों का सामना करना पड़ा। यह घटना एक परिवार के लिए न सिर्फ जीवन-मरण का सवाल बन गई, बल्कि उनकी उम्मीदों पर भी गहरा आघात किया। सरकारी अस्पताल की यह लापरवाही गरीब परिवारों के लिए आशा और इलाज के बीच की दूरी को और बढ़ा रही है। स्वास्थ्य सेवाओं में ऐसी कमी समाज के कमजोर वर्गों के लिए सबसे बड़ा संकट साबित हो रही है।
गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की कमी
यह घटना न सिर्फ सुदामा चौहान के परिवार की है, बल्कि यह उन लाखों गरीब परिवारों की भी कहानी है, जो इलाज के अभाव में तड़पते हैं। भागीरथी चौहान स्वास्थ्य केंद्र का उद्देश्य गरीबों और गांववासियों को निःशुल्क और समय पर इलाज प्रदान करना है, लेकिन इस तरह की लापरवाही ने यह साफ कर दिया है कि
गरीबों को स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित रखा जा रहा है।सुदामा चौहान और उनके परिवार के साथ हुआ यह अन्याय उन सभी गरीब परिवारों के लिए एक आवाज है, जो स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। यह बेहद जरूरी है कि सरकार इस मामले पर ध्यान दे और भागीरथी चौहान स्वास्थ्य केंद्र की जांच कराए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
सरकार और प्रशासन से अपील
सुदामा चौहान की कहानी को सरकार और प्रशासन तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। इस घटना की पूरी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यह घटना समाज के कमजोर और गरीब वर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमी को उजागर करती है।
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार हो और गरीबों को समय पर और गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले। भागीरथी चौहान स्वास्थ्य केंद्र में हुई इस लापरवाही से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकारी अस्पतालों की निगरानी और सुधार की सख्त जरूरत है।
इस घटना से प्रेरित होकर सरकार को पूरे जिले और राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का जायजा लेना चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी गरीब परिवार को इस तरह की पीड़ा का सामना न करना पड़े। सुदामा चौहान की यह आवाज सरकार के कानों तक पहुंचनी चाहिए और उनके परिवार को न्याय मिलना चाहिए। यह सिर्फ एक परिवार का सवाल नहीं है, बल्कि पूरे समाज का सवाल है, जहां गरीबों को भी सम्मान और इलाज का अधिकार मिलना चाहिए।
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